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बांग्लादेश में वायरल वीडियो का सच: धार्मिक हिंसा का झूठा दावा

बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में वायरल वीडियो के दावों की सच्चाई की जांच की गई है। वीडियो में एक महिला के साथ मारपीट होती दिख रही है, जिसे हिजाब न पहनने के कारण मुस्लिम युवकों द्वारा पीटने का आरोप लगाया गया। हालांकि, जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह मामला धार्मिक नहीं, बल्कि उत्पीड़न का था। पीड़ित ने खुद को 'थर्ड जेंडर' बताया और आरोपों को खारिज किया। जानें इस मामले की पूरी सच्चाई और वायरल दावे का निष्कर्ष।
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बांग्लादेश में वायरल वीडियो का सच: धार्मिक हिंसा का झूठा दावा

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की सच्चाई

सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियो अक्सर भ्रामक दावों के साथ साझा किए जाते हैं। हाल ही में एक वीडियो बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से संबंधित बताया गया है, जिसमें एक महिला के साथ मारपीट होती नजर आ रही है।

इस वीडियो के साथ दावा किया गया कि मुस्लिम युवकों ने एक ईसाई आदिवासी महिला को हिजाब न पहनने के कारण पीटा। लेकिन जब इस वीडियो की सच्चाई की जांच की गई, तो मामला पूरी तरह से अलग निकला।


वायरल दावे का विवरण

क्या है वायरल दावा

इस वायरल वीडियो में एक महिला को सार्वजनिक स्थान पर घेरकर पीटा जाता है और उससे जबरन उठक-बैठक करवाई जाती है। वीडियो के साथ दावा किया गया कि यह घटना बांग्लादेश के कॉक्स बाजार समुद्र तट की है, जहां मुस्लिम युवकों ने हिजाब न पहनने पर एक ईसाई आदिवासी महिला पर हमला किया। यह दावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तेजी से फैल गया।


वीडियो की सच्चाई की जांच

वीडियो की सच्चाई की जांच

वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर यह स्पष्ट हुआ कि यह दावा गलत है। बांग्लादेशी मीडिया संस्था ने 14 सितंबर 2024 को इस घटना पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला हिजाब या धर्म से संबंधित नहीं था, बल्कि समुद्र तट पर उत्पीड़न की घटना थी।


पीड़ित की पहचान

कौन हैं पीड़ित

जांच में पता चला कि पीड़ित का नाम आरोही इस्लाम है, जो खुद को 'थर्ड जेंडर' समुदाय से बताती हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि घटना के समय कई महिलाएं और ट्रांसजेंडर लोग मौजूद थे। पीड़ित ने स्पष्ट किया कि वह न तो ईसाई हैं और न ही किसी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, बल्कि मुस्लिम हैं।


हमले की असली वजह

हमले की असली वजह

बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपियों ने पीड़ित को गलत तरीके से एक छात्र राजनीतिक संगठन से जोड़ा। उन पर यह भी आरोप लगाया गया कि वह सेक्स वर्कर हैं। पीड़ित ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया और कहा कि बिना किसी सबूत के उन पर हमला किया गया। इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया है।


फर्जी दावे का निष्कर्ष

फर्जी दावे का निष्कर्ष

बीबीसी बांग्ला, ढाका ट्रिब्यून और प्रोथोम आलो जैसे कई मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट्स ने पुष्टि की है कि वायरल दावा पूरी तरह झूठा है। यह वीडियो एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति पर हुए हमले का है, जिसे गलत पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया। फैक्ट चेक में यह स्पष्ट हुआ कि इसे धार्मिक हिंसा बताकर गलत जानकारी फैलाई गई।