बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हिंसा को 'फेक न्यूज' बताने वाले मुहम्मद यूनुस का बयान

मुहम्मद यूनुस का विवादास्पद बयान
बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने हाल ही में एक साक्षात्कार में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा की खबरों को 'झूठा प्रचार' करार दिया है। उन्होंने इन रिपोर्टों को भारत की 'फेक न्यूज' की विशेषता बताया और कहा कि इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। यूनुस ने एक पत्रकार के साथ बातचीत में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर कई गंभीर सवालों का सामना किया।
हिंसा का असली कारण
जमीनी विवाद को धार्मिक संघर्ष से अलग करें
जब यूनुस से पिछले नवंबर में हुई हिंसा के बारे में पूछा गया, जिसमें लगभग 30,000 हिंदुओं ने विरोध प्रदर्शन किया था, तो उन्होंने कहा, 'ये सारी खबरें फेक हैं। आप इन पर भरोसा नहीं कर सकते।' उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब 'फेक न्यूज का गढ़' बन चुका है, जिससे ये खबरें फैल रही हैं।
सामाजिक पहचान पर जोर
हिंदुओं को नागरिकता की भावना से जीने की सलाह
जब उनसे बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए संदेश पूछा गया, तो यूनुस ने कहा, 'जब आप मुझसे मिलें, तो यह न कहें कि 'मैं हिंदू हूं, मेरी रक्षा कीजिए', बल्कि कहें, 'मैं इस देश का नागरिक हूं, और मुझे वह सुरक्षा चाहिए जो एक नागरिक के तौर पर मेरे अधिकार में है।' इससे हिंदू समुदाय उन सभी लोगों से जुड़ सकेगा जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव
राजनीतिक असहमति का केंद्र
यूनुस ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण देना दोनों देशों के बीच एक बड़ा विवाद है। उन्होंने बताया कि यह मामला अब भी राजनीतिक असहमति का केंद्र बना हुआ है। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश में अंतरिम सरकार सक्रिय है और अगले छह महीने में चुनाव कराए जाएंगे।
धार्मिक असहमति को बढ़ावा देने का आरोप
भारत की भूमिका पर सवाल
यूनुस की टिप्पणियां बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय चिंता को चुनौती देती हैं। उनका कहना है कि भारत 'फेक न्यूज' के माध्यम से बांग्लादेश में धार्मिक असहमति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है, जो दोनों देशों के रिश्तों में और तनाव पैदा कर सकता है।