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बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या: दास परिवार को मिली अंतरराष्ट्रीय सहायता

बांग्लादेश के मयमनसिंह में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आक्रोश पैदा किया है। इस घटना के बाद, दास परिवार की मदद के लिए लोग आगे आए हैं, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिल रही है। जानें कैसे बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय ने परिवार के लिए बैंक खाता खोला और लाखों रुपये की सहायता प्राप्त की। इस कठिन समय में परिवार की स्थिति और न्याय की मांग पर भी चर्चा की गई है।
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बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या: दास परिवार को मिली अंतरराष्ट्रीय सहायता

दिल दहला देने वाली घटना

नई दिल्ली: बांग्लादेश के मयमनसिंह से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक हिंदू युवक, दीपू चंद्र दास, को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना ने भारत में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। इस बीच, पीड़ित परिवार की दयनीय स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से फैल रहा है, जिसके बाद भारत के साथ-साथ अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों से भी मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं। दास परिवार को आर्थिक सहायता भेजी जा रही है।


बैंक खाता खोला गया

सोशल मीडिया पर यह सवाल उठने लगा कि पीड़ित परिवार की सहायता कैसे की जाए। इसके बाद, बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने दीपू दास के परिवार के लिए एक बैंक खाता खोला। खाते के खुलते ही, शाम तक देश-विदेश से दान आने लगा।


लाखों रुपये की सहायता प्राप्त

चटगांव विश्वविद्यालय के संस्कृत के प्रोफेसर कुशल बरन चक्रवर्ती ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर बैंक खाते की जानकारी साझा की है। दान की कुल राशि की गणना अभी बाकी है, लेकिन उन्हें सूचित किया गया है कि लाखों रुपये की सहायता मिल चुकी है। प्रोफेसर चक्रवर्ती हाल ही में दास परिवार से मिलने भी गए थे।


परिवार की कठिनाई

उन्होंने कहा कि परिवार की स्थिति अत्यंत खराब है। परिवार के सदस्य मानसिक रूप से टूट चुके हैं और उनके पास रोजमर्रा के खर्च के लिए भी पैसे नहीं हैं। दीपू दास परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे, जो एक कपड़ा बनाने वाली कंपनी में काम करते थे। उन्हें प्रमोशन मिला था, लेकिन इससे कुछ सहकर्मी नाराज हो गए। बाद में उन पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने का आरोप लगाया गया, जबकि सच्चाई यह है कि दीपू के पास स्मार्टफोन नहीं था।


शव लाने में बाधा

दास परिवार मयमनसिंह के तारकांदी थाना क्षेत्र में एक अस्थायी घर में निवास करता है। रिपोर्ट के अनुसार, परिवार को दीपू का शव घर लाने से भी रोका गया। प्रोफेसर चक्रवर्ती ने बताया कि दीपू की शादी दो साल पहले हुई थी और उनका एक छोटा बच्चा भी है। ऐसे हालात में परिवार के लिए जीवन यापन करना बहुत कठिन हो गया है। इसी कारण उनके लिए बैंक खाता खोलने का निर्णय लिया गया।


सहायता की अपील

परिवार से मिलने के बाद चक्रवर्ती ने बातचीत का विवरण फेसबुक पर साझा किया। इसके बाद उनके पोस्ट पर सैकड़ों लोगों ने दीपू की हत्या की निंदा की और परिवार के लिए मदद की पेशकश की। सोमवार सुबह उन्होंने आर्थिक सहायता की अपील की, जिसके बाद लोग लगातार पैसे भेजने लगे और भुगतान के स्क्रीनशॉट भी साझा किए। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से वे बहुत भावुक और आभारी हैं।


सख्त कार्रवाई की मांग

यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। भले ही दास परिवार को मिल रही अंतरराष्ट्रीय मदद उनके लिए कुछ राहत लेकर आई हो, लेकिन दीपू की हत्या के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग अब भी जोर पकड़ रही है।