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भारत और यूरोप के बीच बढ़ती दोस्ती: गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक आमंत्रण

भारत ने 26 जनवरी 2026 को गणतंत्र दिवस पर यूरोपीय संघ के दो शीर्ष नेताओं को आमंत्रित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह कदम भारत और यूरोप के बीच बढ़ती दोस्ती का प्रतीक है। इस समारोह में कोई भी प्रमुख नेता उपस्थित नहीं होगा, जिससे यह समारोह विशेष बन जाएगा। यह निर्णय भारत की वैश्विक पहचान को दर्शाता है और भविष्य में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर की संभावना को भी उजागर करता है। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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भारत और यूरोप के बीच बढ़ती दोस्ती: गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक आमंत्रण

भारत और यूरोप की नई साझेदारी

भारत और यूरोप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध की खबरें सामने आ रही हैं। इसका मुख्य कारण भारत का एक ऐतिहासिक निर्णय है, जो न केवल दिल्ली, बल्कि वाशिंगटन, मॉस्को और बीजिंग में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। 26 जनवरी 2026 को भारत के गणतंत्र दिवस पर कोई भी प्रमुख नेता जैसे ट्रंप, पुतिन, मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति, जर्मनी के चांसलर या इंग्लैंड के पीएम उपस्थित नहीं होंगे। इस बार का समारोह केवल एक परेड या झांकी नहीं होगा, बल्कि यह भारत की वैश्विक पहचान का एक बड़ा प्रदर्शन होगा।


अमेरिका, जो आज भी एक सुपर पावर है, की नीतियों में निरंतर बदलाव होता रहता है। एक नया राष्ट्रपति आते ही सब कुछ बदल जाता है। वहीं, रूस, जो भारत का पुराना मित्र है, वर्तमान में युद्ध और प्रतिबंधों से जूझ रहा है।


फ्रांस भारत का एक विश्वसनीय साथी है, लेकिन उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। भारत समझता है कि 21वीं सदी एक देश की नहीं, बल्कि एक ब्लॉक की सदी है। इसलिए, भारत ने किसी एक नेता को नहीं, बल्कि पूरे यूरोपीय संघ को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। 2026 के गणतंत्र दिवस पर भारत ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। यह पहली बार होगा जब भारत गणतंत्र दिवस पर किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के दो शीर्ष नेताओं को आमंत्रित कर रहा है।


यह आमंत्रण भारत के भविष्य की दिशा को भी दर्शाता है। जब भारत एशियाई देशों को आमंत्रित करता है, तो वह दक्षिण पूर्व एशिया को प्राथमिकता देता है। अमेरिका को आमंत्रित करने पर वह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को संदेश देता है। वहीं, जब वह यूरोपीय संघ को आमंत्रित करता है, तो यह दर्शाता है कि भारत एक महाद्वीप के साथ साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ रहा है।


उम्मीद है कि 26 जनवरी या उसके अगले दिन भारत और यूरोप के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यदि यह समझौता सफल होता है, तो भारत को यूरोप के बाजारों में प्रवेश में आसानी होगी, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी और निवेश में भी बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही, यूरोपीय संघ को चीन का एक विकल्प भी मिल जाएगा।