भारत और रूस के बीच बढ़ती कूटनीतिक गतिविधियाँ: पुतिन की यात्रा की तैयारी
भारत-रूस संबंधों में नई गहराई
नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच कूटनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन अगले महीने भारत आने वाले हैं। इस संदर्भ में, दोनों देश कई महत्वपूर्ण समझौतों और परियोजनाओं को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बताया कि रूस में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान उनकी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से महत्वपूर्ण बातचीत हुई है।
जयशंकर ने कहा कि पुतिन की आगामी यात्रा को ध्यान में रखते हुए यह बैठक और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि ये वार्ताएँ दोनों देशों की विशेष और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगी, और इसमें नई ऊर्जा और गहराई जोड़ेंगी। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने भारत पर रूस से ऊर्जा और सैन्य उपकरणों की खरीद कम करने का दबाव बढ़ा दिया है।
Glad to meet FM Sergey Lavrov today in Moscow.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 17, 2025
Held discussions on our bilateral partnership covering trade and investment, energy, mobility, agriculture, technology, culture and people to people exchanges.
Exchanged perspectives on regional, global and multilateral issues.… pic.twitter.com/Bn8xmoW7Jl
एलपीजी आयात पर नई घोषणा
अमेरिका की यह कोशिश यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने का एक हिस्सा मानी जा रही है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद में कमी आई है। भारत ने सोमवार को यह भी बताया कि उसकी सरकारी कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 एमटीपीए एलपीजी आयात करने का एक साल का समझौता किया है।
भारत-रूस संबंधों की विशेषताएँ
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत-रूस संबंध हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्थिरता का केंद्र रहे हैं। उनका कहना था कि दोनों देशों के रिश्तों का विस्तार और विकास न केवल भारत और रूस के हित में है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए सकारात्मक है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच लंबे समय से विश्वास, सहयोग और रणनीतिक समझ बनी हुई है, जो वैश्विक परिस्थितियों में स्थिरता का आधार प्रदान करती है।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने विश्व की जटिल परिस्थितियों पर भी खुलकर चर्चा की। इसमें यूक्रेन संघर्ष, मध्य पूर्व की स्थिति और अफगानिस्तान का मुद्दा शामिल था। जयशंकर ने कहा कि भारत शांति कायम करने के हालिया प्रयासों का समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि सभी पक्ष रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि संघर्ष का जल्दी अंत और स्थायी शांति स्थापित होना पूरी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में है।
सर्गेई लावरोव की टिप्पणी
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत को रूस का शीर्ष प्राथमिकता वाला साझेदार बताया। लावरोव ने कहा कि रूस भारत के साथ आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए विशेष उपायों पर काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश ऐसी व्यवस्थाएं बना रहे हैं जिससे व्यापार पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण प्रभावित न हो। भारत और रूस की यह सक्रिय कूटनीतिक बातचीत आगामी पुतिन-मोदी शिखर बैठक को लेकर उत्सुकता बढ़ा रही है।
