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भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग को मजबूती देने वाला नया समझौता

भारत और रूस ने एक महत्वपूर्ण सैन्य सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे RELOS कहा जाता है। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के क्षेत्र में संचालन के दौरान लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने का ढांचा तैयार करता है। राष्ट्रपति पुतिन की हालिया भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर चर्चा हुई थी, जो भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। जानें इस समझौते के प्रमुख पहलुओं और इसके प्रभाव के बारे में।
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भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग को मजबूती देने वाला नया समझौता

नई दिल्ली में महत्वपूर्ण सैन्य समझौता


नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य और लॉजिस्टिक सहयोग समझौते को संघीय कानून के रूप में स्वीकृति दे दी है। इस समझौते को RELOS (Reciprocal Exchange of Logistics Support) कहा जाता है, जो दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के क्षेत्र में संचालन के दौरान लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने का ढांचा तैयार करता है।


समझौते की प्रक्रिया

क्रेमलिन के अनुसार, यह समझौता पहले ही रूस की संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जा चुका था। स्टेट ड्यूमा ने इसे 2 दिसंबर को मंजूरी दी, जबकि फेडरेशन काउंसिल ने 8 दिसंबर को सहमति दी। इसके बाद दस्तावेज राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया, जिससे रूस की घरेलू कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई।


आवाजाही से जुड़े नियम

RELOS समझौते के तहत भारत और रूस के बीच सैन्य टुकड़ियों, युद्धपोतों और विमानों की आवाजाही के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे की धरती पर संचालन के दौरान किस प्रकार की लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की जाएगी। इसमें ईंधन, रखरखाव, परिवहन और अन्य आवश्यक सेवाएं शामिल हो सकती हैं।


रूसी कैबिनेट की प्रतिक्रिया

रूसी कैबिनेट ने बताया कि यह समझौता संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण गतिविधियों, मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों में लागू होगा। इसके अलावा, आपसी सहमति से इसे अन्य परिस्थितियों में भी लागू किया जा सकता है। इस ढांचे से दोनों देशों के सैन्य विमानों को एक-दूसरे के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने में आसानी होगी और युद्धपोतों के बंदरगाह दौरे की प्रक्रिया भी सरल होगी।


हालांकि, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बावजूद यह समझौता तुरंत लागू नहीं होगा। इसके प्रभावी होने के लिए भारत और रूस के बीच औपचारिक अनुमोदन पत्रों का आदान-प्रदान आवश्यक है। इसके बाद ही यह करार पूरी तरह से लागू माना जाएगा।


पुतिन की भारत यात्रा

पुतिन भारत दौरे के दौरान क्या हुई थी बातचीत?


यह समझौता राष्ट्रपति पुतिन की हालिया भारत यात्रा के बाद सामने आया है। 4 दिसंबर को पुतिन दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे थे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई और 2030 तक आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। यह सैन्य समझौता भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई मजबूती प्रदान करता है।