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भारत और साइपरस: एक मजबूत दोस्ती की नई शुरुआत

भारत और साइपरस के बीच संबंधों में एक नई गहराई देखने को मिल रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साइपरस के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान इस दोस्ती को विश्वसनीय और मजबूत बताया। यह संबंध तुर्की के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि साइपरस तुर्की के साथ लंबे समय से संघर्ष में है। जानें कैसे यह साझेदारी भारत की यूरोप में स्थिति को मजबूत कर रही है और भविष्य में क्या संभावनाएँ हैं।
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भारत और साइपरस: एक मजबूत दोस्ती की नई शुरुआत

भारत और साइपरस के बीच बढ़ता विश्वास

भारत और साइपरस के संबंधों को विश्वसनीय मित्रता और भरोसेमंद साझेदारी के रूप में देखा जा रहा है। यह एक ऐसा संबंध है जो समय के साथ मजबूत हुआ है, और हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पर जोर दिया। यह स्थिति तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि साइपरस तुर्की के साथ लंबे समय से चल रहे संघर्ष का हिस्सा है। भारत की साइपरस के साथ बढ़ती दोस्ती ने यह संकेत दिया है कि भारत अब केवल एशिया में नहीं, बल्कि यूरोप में भी अपनी पहचान बना रहा है।


जयशंकर की साइपरस यात्रा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साइपरस के विदेश मंत्री कॉन्स्टेटिनोस कोम्बोस के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस बातचीत में उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन का उल्लेख किया। कोम्बोस ने भी तुर्की के खिलाफ इशारों में बात की, यह बताते हुए कि साइपरस के पास एक आक्रामक ताकत मौजूद है।


भारत और साइपरस की पुरानी दोस्ती

भारत और साइपरस के बीच संबंध कोई नई बात नहीं है। यह दोस्ती 1962 में साइपरस की स्वतंत्रता के साथ शुरू हुई थी। तब से, दोनों देश हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। चाहे वह मानवाधिकारों का मुद्दा हो या आतंकवाद, दोनों देशों ने हमेशा सहयोग किया है।


भविष्य की संभावनाएँ

साइपरस निकट भविष्य में यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता संभालने की तैयारी कर रहा है। जयशंकर ने साइपरस को शुभकामनाएँ दीं और विश्वास व्यक्त किया कि इस नेतृत्व के तहत भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग नई ऊँचाइयों को छुएगा।