Newzfatafatlogo

भारत का नया मिसाइल परीक्षण: दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी

भारत ने हाल ही में पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण किया है, जिसने पाकिस्तान और बांग्लादेश में चिंता बढ़ा दी है। इस रॉकेट की क्षमताएँ दुश्मनों के लिए एक नई चुनौती पेश करती हैं। जानें इस मिसाइल सिस्टम के बारे में और कैसे यह भारत की सुरक्षा को मजबूत करता है।
 | 
भारत का नया मिसाइल परीक्षण: दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी

भारत का प्रभावी कदम

भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसने कई देशों को चिंता में डाल दिया है। इस नए कदम से पाकिस्तान और बांग्लादेश में हड़कंप मच गया है। भारत के इस निर्णय ने दुश्मनों की योजनाओं को ध्वस्त कर दिया है। हाल ही में, भारत ने ओसा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (एलआरजीआर) 120 का सफल परीक्षण किया है। भारतीय सेना और डीआरडीओ द्वारा किए गए इस परीक्षण ने पिनाका रॉकेट को और भी अधिक घातक बना दिया है।


चीन और पाकिस्तान हमेशा भारत की सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ पेश करते रहते हैं, लेकिन पिनाका के इस नए संस्करण से दुश्मनों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। पिनाका का नाम भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर रखा गया है, और यह एक ऐसा मिसाइल सिस्टम है जो तेजी से दुश्मनों को नष्ट कर सकता है। यह 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है, जिससे केवल धुंआ ही धुंआ नजर आएगा।


पिनाका रॉकेट की क्षमताएँ

डीआरडीओ द्वारा सफल परीक्षण के बाद, पिनाका रॉकेट की क्षमताएँ और भी बढ़ गई हैं। यह रॉकेट पहले से ही सेना में उपयोग किया जा चुका है और विभिन्न रेंज के रॉकेट एक ही लांचर से दागे जा सकते हैं। 2021 के बाद, चीन ने 300 कि.मी. रेंज वाले रॉकेट सिस्टम तैनात किए थे, जिसके बाद भारतीय सेना ने 120 और 300 कि.मी. रेंज वाले पिनाका रॉकेट विकसित करने का अनुरोध किया।


पिनाका की लंबी दूरी और सटीकता भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर रणनीतिक बढ़त प्रदान करती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ को बधाई दी और कहा कि लंबी दूरी के गाइडेड रॉकेटों का विकास सशक्त बलों की क्षमताओं को मजबूत करेगा।


पिनाका का इतिहास

पिनाका रॉकेट सिस्टम ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 120 कि.मी. रेंज वाले इस रॉकेट का पहला परीक्षण उसी दिन हुआ जब रक्षा मंत्रालय ने इसे भारतीय सेना में शामिल करने की मंजूरी दी।