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भारत की BRICS अध्यक्षता: वैश्विक राजनीति में नई दिशा और सामरिक महत्व

भारत 1 जनवरी 2026 से BRICS देशों की अध्यक्षता करेगा, जो वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की संभावना रखता है। अमेरिकी टैरिफ नीति ने BRICS देशों के बीच सहयोग को मजबूत किया है। भारत की अध्यक्षता में कृषि, ऊर्जा, और वित्त जैसे क्षेत्रों में नई साझेदारियों की उम्मीद है, जो दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के पीछे की रणनीतियाँ और भविष्य की संभावनाएं।
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भारत की BRICS अध्यक्षता: वैश्विक राजनीति में नई दिशा और सामरिक महत्व

भारत की BRICS अध्यक्षता का महत्व


नई दिल्ली : 1 जनवरी 2026 से भारत ब्रिक्स देशों की अध्यक्षता का कार्यभार संभालेगा। यह समय वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अमेरिका की टैरिफ नीति ने भारत, चीन और रूस जैसे प्रमुख देशों को एकजुट किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी ने इस समूह के भीतर सहयोग को और मजबूत किया है। ऐसे में भारत की अध्यक्षता नई दिशा और सामरिक महत्व लाएगी।


कृषि और खाद्यान्न सुरक्षा में BRICS का योगदान

कृषि और खाद्यान्न सुरक्षा में BRICS का योगदान
ब्रिक्स सदस्य देश कृषि क्षेत्र में अपने योगदान को बढ़ाने के लिए ठोस नीतियों का निर्माण कर रहे हैं, जिससे भविष्य में खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। यह सदस्य देशों को वैश्विक खाद्य सुरक्षा और कृषि नवाचार में सहयोग का अवसर प्रदान करता है। भारत की अध्यक्षता में, ब्रिक्स देशों के बीच तकनीकी हस्तांतरण, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के मुद्दों पर साझेदारी को और मजबूत किया जाएगा। यह कदम वैश्विक बाजारों और आर्थिक समीकरणों पर भी प्रभाव डाल सकता है।


BRICS के आर्थिक और रणनीतिक महत्व

BRICS के आर्थिक और रणनीतिक महत्व
ब्रिक्स समूह में वर्तमान में 11 देश शामिल हैं - भारत, चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, ईथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, UAE और इंडोनेशिया। ये देश विश्व के कुल कच्चे तेल उत्पादन का लगभग 42 प्रतिशत नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, ब्रिक्स का वैश्विक जीडीपी में 29 प्रतिशत योगदान है। इस समूह ने अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जिससे इन देशों ने अपनी मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा दिया है।


भारत की रणनीतिक भूमिका और वैश्विक नेतृत्व

भारत की रणनीतिक भूमिका और वैश्विक नेतृत्व
भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता के तहत वैश्विक मंच पर अपनी नेतृत्व क्षमता को और मजबूत करेगा। इसका उद्देश्य ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना, वैश्विक व्यापार और निवेश को सरल बनाना, और आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही, भारत का यह कदम वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 के अंत तक ब्रिक्स देशों की साझा नीतियां अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देंगी।


भविष्य की संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं
भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स सदस्य देश आपसी सहयोग, निवेश, प्रौद्योगिकी, और रणनीतिक साझेदारी के नए आयाम स्थापित करेंगे। यह वैश्विक राजनीति में भारत की सक्रिय भागीदारी और अन्य शक्तिशाली देशों के साथ संतुलन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कृषि, ऊर्जा, वित्त, और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में यह साझेदारी दीर्घकालिक स्थायित्व और विकास को बढ़ावा देगी।