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भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता: नए अवसर और चुनौतियाँ

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत के व्यापारिक हितों की सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक व्यापार के लिए एक मजबूत उदाहरण बताया है। इस समझौते में श्रम-गहन क्षेत्रों के लिए नए अवसरों की बात की गई है, जबकि ब्रिटेन के कार्बन टैक्स CBAM पर भारत की सख्त स्थिति भी सामने आई है। जानें इस समझौते के लाभ और चुनौतियाँ।
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भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता: नए अवसर और चुनौतियाँ

भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौता

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत के व्यापारिक हितों की सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक व्यापार के लिए एक मजबूत उदाहरण बताया है। उन्होंने ब्रिटेन द्वारा प्रस्तावित कार्बन टैक्स CBAM के संदर्भ में चेतावनी दी है कि यदि यह भारतीय निर्यात को प्रभावित करता है, तो भारत उचित प्रतिक्रिया देगा।


गोयल के अनुसार, यह व्यापार समझौता भारत के लिए कई दृष्टिकोण से लाभकारी होगा। इसमें उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है जहां देश को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यह समझौता विशेष रूप से श्रम-गहन क्षेत्रों जैसे फुटवियर, वस्त्र, और आभूषण के लिए नए अवसर प्रदान करेगा। इसके साथ ही, भारत ने अपने संवेदनशील क्षेत्रों जैसे डेयरी, चावल और चीनी की सुरक्षा सुनिश्चित की है। इसके अलावा, समझौते में यूके से उन उत्पादों के आयात को प्राथमिकता दी गई है जो भारत में कम उपलब्ध हैं।


CBAM पर भारत की स्थिति

CBAM पर भारत की सख्ती


ब्रिटेन द्वारा 2027 से लागू होने वाले CBAM (Carbon Border Adjustment Mechanism) के संबंध में भारत ने स्पष्ट रुख अपनाया है। मंत्री गोयल ने कहा कि यह मुद्दा वर्तमान में FTA में शामिल नहीं है क्योंकि CBAM अभी प्रभावी नहीं हुआ है। लेकिन यदि भविष्य में CBAM के कारण भारत के निर्यात को नुकसान होता है, तो भारत जवाबी कार्रवाई करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत इस मुद्दे पर यूके के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर रहा है और 'रीबैलेंसिंग' के लिए तैयार है। हालांकि, यह कानूनी दस्तावेज का हिस्सा नहीं है, जिससे चिंता जताई जा रही है।


क्रिटिकल मिनरल्स और तकनीकी सहयोग

क्रिटिकल मिनरल्स और तकनीकी साझेदारी


भारत और यूके ने क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में सहयोग करने का निर्णय लिया है। यह साझेदारी सेमीकंडक्टर, क्वांटम टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोटेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगी। इसके लिए दोनों देश मिलकर UK-India Critical Minerals Guild की स्थापना करेंगे, जो इन क्षेत्रों में निवेश, नवाचार और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने का कार्य करेगा। इसके अतिरिक्त, Vision 2035 दस्तावेज के तहत तकनीकी सुरक्षा और अनुसंधान पर भी दोनों देशों की रणनीतिक भागीदारी को दिशा दी जाएगी।