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भारत-यूके रक्षा सहयोग: भारतीय प्रशिक्षक RAF में देंगे प्रशिक्षण

भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा सहयोग का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जिसमें भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षक ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स के पायलटों को प्रशिक्षण देंगे। यह कदम दोनों देशों के सामरिक और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। जानें इस ऐतिहासिक समझौते के बारे में, जिसमें भारतीय प्रशिक्षकों की तैनाती और प्रशिक्षण कार्यकाल की जानकारी शामिल है।
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भारत-यूके रक्षा सहयोग: भारतीय प्रशिक्षक RAF में देंगे प्रशिक्षण

भारत और ब्रिटेन के बीच नया रक्षा सहयोग


भारत-यूके रक्षा सहयोग: भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा सहयोग का एक नया अध्याय जल्द ही शुरू होने वाला है। जिस देश ने पहले भारत में 'रॉयल इंडियन एयर फोर्स' की स्थापना की थी, अब उसी ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स (RAF) के फाइटर पायलटों को भारतीय वायुसेना (IAF) के अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते सामरिक और तकनीकी संबंधों का प्रतीक है।


ब्रिटेन में भारतीय प्रशिक्षकों की तैनाती

रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय वायुसेना के दो वरिष्ठ फाइटर पायलट प्रशिक्षक जल्द ही RAF वैली एयरबेस में तैनात होंगे, जो वेल्स के उत्तर-पश्चिम तट पर एंगल्सी द्वीप पर स्थित है। यहां, वे ब्रिटिश एयरफोर्स के पायलट कैडेट्स को BAE Hawk T Mk2 एडवांस्ड जेट ट्रेनर पर प्रशिक्षण देंगे। यह वही विमान है, जिस पर ब्रिटेन के अगली पीढ़ी के फाइटर पायलट टाइफून और एफ-35 जैसे फ्रंटलाइन जेट्स की तैयारी करते हैं।


तीन साल का प्रशिक्षण कार्यकाल

रॉयल एयर फोर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पहल भारत-यूके रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशिक्षकों की तैनाती अक्टूबर 2026 से पहले नहीं होगी। उनकी प्रारंभिक ट्रेनिंग और परिचय प्रक्रिया लगभग एक वर्ष में पूरी होगी। इन प्रशिक्षकों का वेतन भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा, जबकि उनके रहने और अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय की होगी। प्रशिक्षक RAF वैली में अधिकतम तीन साल तक कार्यरत रह सकते हैं।


मोदी-स्टार्मर मुलाकात में समझौता

यह ऐतिहासिक करार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर की हालिया मुंबई यात्रा के दौरान हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे औपचारिक रूप से घोषित किया। इसी यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच 350 मिलियन पाउंड (करीब ₹3,700 करोड़) का रक्षा सौदा भी हुआ, जिसके तहत ब्रिटेन भारत को हल्के मल्टीरोल मिसाइल सिस्टम मुहैया कराएगा।


रक्षा संबंधों में नई दिशा

RAF सूत्रों के अनुसार, यह कार्यक्रम केवल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य भारत और ब्रिटेन के सामरिक और राजनीतिक रिश्तों को और मजबूत करना भी है। भारतीय प्रशिक्षकों की भागीदारी से दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच बेहतर इंटरऑपरेबिलिटी विकसित होगी, जिससे विश्वास और सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।


भारत की वायुसेना की ताकत

'वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA)' के अनुसार, अमेरिका और रूस के बाद भारतीय वायुसेना दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना है। ब्रिटेन इस सूची में आठवें स्थान पर है।


रणनीतिक लाभ और ज्ञान-साझा

RAF अधिकारी का कहना है कि भारतीय प्रशिक्षकों की भागीदारी से RAF को सामरिक लाभ मिलेगा और दोनों देशों के बीच तकनीकी और टैक्टिकल ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ेगा। अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों और कैडेट्स के बीच संवाद से उड़ान तकनीकों और प्रक्रियाओं का साझा अनुभव विकसित होगा, जो भविष्य की संयुक्त अभियानों में सहायक साबित होगा।