भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मनाई गई

भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक समझौता
3 अक्टूबर 2000 को भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी स्थापित हुई, जिसने दोनों देशों के रक्षा और सहयोग संबंधों को नई दिशा दी। इस अवसर पर भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने बधाई दी।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस ऐतिहासिक समझौते पर दिल्ली में हस्ताक्षर किए, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने, और आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। आज इस महत्वपूर्ण निर्णय की 25वीं वर्षगांठ है।
इस दिन को लेकर, डेनिस अलीपोव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि 3 अक्टूबर 2000 को पुतिन और वाजपेयी ने रणनीतिक साझेदारी की घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों का एक नया अध्याय शुरू हुआ। आज हम इस ऐतिहासिक घोषणा की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत और रूस ने 1991 में द्विपक्षीय संबंध स्थापित किए थे। हालांकि, सामरिक साझेदारी की घोषणा उस समय हुई जब सोवियत संघ के पतन के बाद दोनों देशों के संबंधों में कमी आई थी। 1971 की भारत-सोवियत मैत्री संधि का 1993 में नवीनीकरण भी एक कारण था, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया।
2000 में हुए इस समझौते ने भारत और रूस के बीच संबंधों को एक नई शुरुआत दी। दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, परमाणु, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को महसूस किया। तब से, भारत-रूस के संबंध कई मायनों में मजबूत हुए हैं।
जब यह साझेदारी संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, तब दुनिया आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के कगार पर थी। भारत और रूस ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की और द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय स्तर पर सहयोग किया।