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भारत-रूस रक्षा सहयोग में नई ऊँचाई: RELOS समझौते को मिली मंजूरी

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए 'रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट' (RELOS) समझौते को मंजूरी मिल गई है। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ाने में मदद करेगा। रूस की संसद ने इस समझौते को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। राष्ट्रपति पुतिन की आगामी भारत यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों की संभावना है। जानें इस समझौते के तहत क्या-क्या शामिल है और यह कैसे सहयोग को सरल बनाएगा।
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भारत-रूस रक्षा सहयोग में नई ऊँचाई: RELOS समझौते को मिली मंजूरी

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति


नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। रूस की संसद के निचले सदन, स्टेट डूमा ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच हुए महत्वपूर्ण सैन्य समझौते 'रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट' को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी। यह निर्णय उस समय आया है जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत की यात्रा पर आने वाले हैं, जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।


डूमा के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने इस मंजूरी को द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया और कहा कि भारत और रूस के संबंध रणनीतिक और व्यापक हैं। उनके अनुसार, इस समझौते से सैन्य सहयोग में पारस्परिकता बढ़ेगी और दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल और मजबूत होगा।


RELOS समझौता: सहयोग को सरल बनाने की दिशा में

RELOS क्या है और कैसे करेगा सहयोग आसान?


यह समझौता 18 फरवरी को मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और उस समय के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। RELOS के तहत, दोनों देशों के सैन्य जहाज, विमान और सैन्य टुकड़ियां एक-दूसरे के एयरबेस, बंदरगाहों और लॉजिस्टिक सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगी।


इसमें शामिल हैं:-


ईंधन भरना, मरम्मत और तकनीकी सहायता, आपातकालीन समर्थन, लॉजिस्टिक ऑपरेशन में आपसी मदद, पोर्ट कॉल्स और एयरस्पेस के उपयोग में बड़ी सुविधा मिलेगी।


सरकारी नोट में कहा गया है कि यह समझौता संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता और प्राकृतिक या मानवजनित आपदाओं के बाद राहत कार्यों में सहयोग को सरल बनाएगा। साथ ही, यह जहाजों की पोर्ट कॉल्स और एयरस्पेस के पारस्परिक उपयोग को भी अधिक सहज और व्यवस्थित करेगा।


रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा

रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा


रूसी सरकार द्वारा जारी आधिकारिक नोट में उल्लेख किया गया है कि यह समझौता न केवल परिचालन स्तर पर सैन्य सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि भारत-रूस के दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों में नई गति भी जोड़ेगा। पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण समझौतों की संभावना जताई जा रही है।