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भारतीय सेना ने रोबोटिक म्यूल के जरिए निगरानी क्षमता को बढ़ाया

भारतीय सेना ने अपनी निगरानी और लॉजिस्टिक क्षमताओं को सशक्त बनाने के लिए रोबोटिक म्यूल का उपयोग शुरू किया है। यह तकनीक सैनिकों को गश्त के दौरान सहायता प्रदान करती है और उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सामान का परिवहन आसान बनाती है। जानें इस नई तकनीक के बारे में और कैसे यह सुरक्षा को नई ऊंचाई पर ले जा रही है।
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भारतीय सेना ने रोबोटिक म्यूल के जरिए निगरानी क्षमता को बढ़ाया

भारतीय सेना की नई तकनीक


भारतीय सेना: तकनीकी उन्नति के माध्यम से अपनी निगरानी और लॉजिस्टिक क्षमताओं को सशक्त बना रही है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, सेना ने रोबोटिक म्यूल, जिसे मल्टी-यूजिटी लेग्ड इक्विपमेंट (MULE) कहा जाता है, को नियंत्रण रेखा (LoC) पर तैनात किया है।


सैनिकों का समर्थन

सेना के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में बताया, "रोबोटिक म्यूल भारतीय सेना द्वारा अपनाई गई नई तकनीकों में से एक है। हम अगली पीढ़ी के हथियारों और उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। इन म्यूलों का उपयोग गश्त के दौरान किया जा रहा है, जिससे खतरे का पता जल्दी लगाया जा सकता है। इन म्यूलों में सेंसर और कैमरे लगे हुए हैं, और इन्हें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी इस्तेमाल किया गया।"



रोबोटिक म्यूल की खरीद

रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय सेना ने अब तक 100 रोबोटिक म्यूल खरीदकर अपने बलों में शामिल कर लिए हैं। इनका मुख्य उद्देश्य अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों का समर्थन करना और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सामान और उपकरणों का परिवहन करना है। एक रक्षा सूत्र ने पुष्टि की कि "सेना ने चौथे चरण की आपातकालीन खरीद (EP) के तहत 100 रोबोटिक म्यूलों को शामिल किया है।"


सुरक्षा और तकनीकी क्षमता

रोबोटिक म्यूल की तकनीकी विशेषताओं में यह सीढ़ियाँ, खड़ी ढलान और अन्य बाधाएँ पार कर सकता है। यह -40°C से +55°C तक के तापमान में कार्य करने में सक्षम है और 15 किलोग्राम तक का वजन ले जा सकता है। AeroArc के अनुसार, ARCV MULE छोटे हथियार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और थर्मल विज़न सिस्टम, लूटरिंग म्यूनिशन, रोबोटिक आर्म और रासायनिक या रेडियोधर्मी सेंसर ले जाने में सक्षम है, जिससे स्थिति की बेहतर समझ और परिचालन लचीलापन मिलता है।


यह रोबोट IP-67 रेटिंग के साथ मजबूत निर्माण वाला है और -45°C से +55°C तक की चरम परिस्थितियों में भी विश्वसनीयता से कार्य कर सकता है। इसकी वॉकिंग एंड्यूरेंस 3 घंटे और स्टैंडबाय मोड 21 घंटे तक है, जो सैनिकों के शारीरिक और मानसिक बोझ को कम करता है। भारतीय सेना का यह कदम सुरक्षा और तकनीकी क्षमता को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला माना जा रहा है।