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मध्य पूर्व में ईरान-इजराइल संघर्ष: तनाव और हथियारों की आपूर्ति

मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों तक चले संघर्ष ने दोनों देशों को भारी नुकसान पहुँचाया है। अमेरिका ने इजराइल के समर्थन में बमबारी की, जबकि ईरान ने जवाबी कार्रवाई की। हालाँकि, 24 जून को युद्धविराम हुआ, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। चीन ने ईरान को हथियारों की आपूर्ति की है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है। जानिए इस संघर्ष के पीछे की कहानी और भविष्य की संभावनाएँ।
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मध्य पूर्व में ईरान-इजराइल संघर्ष: तनाव और हथियारों की आपूर्ति

मध्य पूर्व में तनाव

मध्य पूर्व में तनाव: ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों तक चले संघर्ष में दोनों देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इजरायल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी की, जिसके जवाब में ईरान ने भी पलटवार किया। हालाँकि, 24 जून को दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो गया, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है।


संघर्ष की पुनरावृत्ति का खतरा

इस स्थिति के चलते यह आशंका जताई जा रही है कि युद्ध फिर से भड़क सकता है। दोनों देश फिर से हथियार इकट्ठा करने में जुट गए हैं। अमेरिका ने इजराइल को कई कार्गो विमान भेजे हैं, जबकि ईरान भी अपने सहयोगियों से मदद ले रहा है।


चीन की भूमिका

चीन ने ईरान को भेजे हथियार

जहाँ अमेरिका इजराइल का समर्थन कर रहा है, वहीं चीन भी ईरान को हथियार प्रदान कर रहा है। एक अरब अधिकारी के अनुसार, 24 जून को हुए युद्धविराम के बाद, चीन ने ईरान को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बैटरियाँ भेजी हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने संघर्ष के दौरान इजराइल पर हजारों मिसाइलें दागी, जिससे उसका मिसाइल भंडार लगभग समाप्त हो गया है। चीन से मिलने वाली बैटरियाँ इस कमी को पूरा करने में मदद करेंगी।


तेहरान की सहायता

चीन कर रहा तेहरान की मदद

चीन, अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान से रिकॉर्ड मात्रा में तेल आयात कर रहा है। वह कच्चे तेल के स्रोत को छिपाने के लिए मलेशिया जैसे देशों का उपयोग कर रहा है।

एक अरब अधिकारी के अनुसार, ईरान इन बैटरियों का भुगतान तेल की खेप से कर रहा है। चीन ईरानी तेल का सबसे बड़ा आयातक है, और हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान का लगभग 90 प्रतिशत कच्चा तेल बीजिंग को निर्यात किया जाता है।