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मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार, ट्रंप की उम्मीदें टूटीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला, जबकि वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार मिला है। मचाडो ने लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। जानें उनके संघर्ष और राजनीतिक यात्रा के बारे में, साथ ही 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उनकी अयोग्यता के कारणों पर भी।
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मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार, ट्रंप की उम्मीदें टूटीं

नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने आज दोपहर ढाई बजे पुरस्कार की घोषणा की, जिसमें वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को विजेता घोषित किया गया। उन्हें अपने देश में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने, महिलाओं के हितों के लिए काम करने और वेनेज़ुएला में तानाशाही से लोकतंत्र की ओर बढ़ने में योगदान देने के लिए यह पुरस्कार मिला है। ट्रंप ने लगातार अपनी दावेदारी पेश की थी और यह भी कहा था कि उन्होंने कई युद्धों को रोकने में मदद की है। हालांकि, पुरस्कार की घोषणा से एक दिन पहले गाजा में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था, जिससे ट्रंप को पुरस्कार का संभावित दावेदार माना जा रहा था। लेकिन अंततः मचाडो ने बाजी मार ली।


मारिया कोरिना मचाडो का परिचय

मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर, 1967 को हुआ। वे वेनेज़ुएला सरकार द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की मुखर आलोचक रही हैं और लोकतंत्र तथा शांति के लिए उनकी वकालत महत्वपूर्ण रही है। मचाडो ने 2002 में चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए नागरिक संगठन सुमाते की सह-स्थापना की। वे 2011 से 2014 तक राष्ट्रीय सभा की सदस्य भी रहीं। 2013 में, उन्होंने उदार और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप वेंटे वेनेज़ुएला नामक राजनीतिक दल की स्थापना की। मचाडो मानवाधिकारों की एक प्रबल समर्थक हैं और वेनेज़ुएला में सत्तावादी शासन को चुनौती देने के लिए जानी जाती हैं। उनके अथक प्रयासों के लिए उन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।


2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मचाडो की स्थिति

2024 के वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति चुनाव में, मारिया कोरिना मचाडो को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया, जबकि उन्हें विपक्षी प्राइमरी में 92% से अधिक वोट मिले थे। अयोग्यता के बाद, उन्होंने एडमंडो गोंजालेज का समर्थन किया, जिन्होंने 70% वोटों के साथ चुनाव जीता। हालांकि, चुनावी धोखाधड़ी की खबरों और विपक्ष की भागीदारी पर प्रतिबंधों के कारण गोंजालेज की जीत की आलोचना हुई। इन चुनौतियों के बावजूद, मचाडो वेनेज़ुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की एक प्रमुख आवाज बनी हुई हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।