Newzfatafatlogo

माली में जेहादियों का बढ़ता प्रभाव: क्या है स्थिति?

माली में अलकायदा से जुड़े संगठन JNIM द्वारा देश पर कब्जा करने की प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ इसे 'अनाकोंडा रणनीति' के तहत देख रहे हैं, जिसमें आतंकवादी धीरे-धीरे राज्य तंत्र को कमजोर कर रहे हैं। माली की स्थिति पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है, और यदि जेहादियों का पूर्ण नियंत्रण स्थापित होता है, तो यह अफगानिस्तान की स्थिति के समान हो सकता है। जानें इस संकट के पीछे के कारण और संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
 | 
माली में जेहादियों का बढ़ता प्रभाव: क्या है स्थिति?

माली में जेहादियों का कब्जा


नई दिल्ली: माली में अलकायदा से जुड़े समूह JNIM द्वारा एक धीमी लेकिन खतरनाक तरीके से देश पर कब्जा करने की प्रक्रिया चल रही है, जो अब पूरे देश को अपने नियंत्रण में लेने की ओर बढ़ रही है। विशेषज्ञ इसे 'अनाकोंडा रणनीति' के रूप में वर्णित कर रहे हैं, जिसमें आतंकवादी बिना किसी शोर के राज्य तंत्र को धीरे-धीरे कमजोर कर रहे हैं। यह स्थिति अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के समान मानी जा रही है।


JNIM अब माली में न्याय व्यवस्था, कर वसूली, नियमों का पालन और सुरक्षा गश्त जैसे कार्य कर रहा है, और लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में इसकी समानांतर सत्ता स्थापित हो चुकी है। माली कभी एक नाजुक लेकिन सक्रिय लोकतंत्र था, लेकिन अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि केवल कुछ गारिसन टाउन ही सरकार के नियंत्रण में बचे हैं। अन्य क्षेत्रों में या तो JNIM का सीधा शासन है या वह सरकार की छाया बनकर शासन कर रहा है।


वर्तमान स्थिति का अवलोकन

क्या है वहां की स्थिति?


जबकि दुनिया का ध्यान यूक्रेन, गाजा और दक्षिण चीन सागर पर है, साहेल क्षेत्र में अलकायदा का यह सबसे बड़ा विस्तार देखा जा रहा है। साहेल उत्तरी मध्य अफ्रीका का वह क्षेत्र है जिसमें माली, बुर्किना फासो, चाड, मौरितानिया और नाइजर जैसे देश शामिल हैं। यह क्षेत्र राजनीतिक अस्थिरता, जलवायु संकट और खाद्य असुरक्षा से जूझ रहा है।


संभावित परिणाम

अगर पूरी तरह कब्जा हुआ तो क्या होगा?


यदि माली पूरी तरह से जेहादियों के नियंत्रण में चला जाता है, तो यह 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद पहला ऐसा मामला होगा जब अलकायदा से जुड़ा कोई संगठन किसी पूरे देश पर शासन करेगा। 2025 की शुरुआत तक 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र या तो उनके कब्जे में था या संघर्षग्रस्त था। 2024 और 2025 के दौरान आतंकियों ने ईंधन की आपूर्ति रोककर और दक्षिणी रास्तों की नाकेबंदी कर सरकार पर दबाव बढ़ाया। अक्टूबर 2025 में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने की सलाह दी, क्योंकि हाईवे पर हमलों में लगातार वृद्धि हो रही थी। नवंबर में पांच भारतीयों के अपहरण ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।


पड़ोसी देशों पर प्रभाव

पड़ोसी देशों में क्यों है डर का माहौल?


माली की यह स्थिति पड़ोसी देशों को भी चिंतित कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक 'क्रॉस बॉर्डर जेहादी अमीरात' की संभावना अब पहले से कहीं अधिक है। मानवीय संकट भी बढ़ता जा रहा है, और लगभग 20 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। राहत संगठनों का कहना है कि माली 'धीमी गति से तालिबानीकरण' की प्रक्रिया में फंस चुका है। राजधानी बमाको में सेना अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रही है, लेकिन असली नियंत्रण तेजी से समाप्त हो रहा है।


विश्लेषकों की राय

एनालिस्ट्स ने क्या बताया?


यदि JNIM पूरा नियंत्रण हासिल कर लेता है, तो माली अलकायदा का सबसे स्थिर ठिकाना बन सकता है। यह विशाल भूभाग, सोने के भंडार और तस्करी के रास्तों से जुड़ा क्षेत्र है, जिसे स्थानीय गठबंधनों और डर के सहारे चलाया जा सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि माली का भविष्य अफगानिस्तान की तरह पूरी सरकारी गिरावट वाला हो सकता है या सोमालिया की तरह, जहां राजधानी एक घिरे हुए किले की तरह रह जाए।