यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइल देने पर रूस की चिंता: क्या बढ़ेगा तनाव?

रूस की गहरी चिंता
रूस ने अमेरिका द्वारा यूक्रेन को टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइल देने की संभावनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। क्रेमलिन का मानना है कि यदि ये हथियार यूक्रेन को दिए गए, तो युद्ध एक अत्यंत खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाएगा, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप की सतर्कता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वे यूक्रेन को टॉमहॉक देने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि इनका उपयोग किस प्रकार किया जाएगा। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि वे रूस-यूक्रेन संघर्ष को और भड़काना नहीं चाहते, हालांकि उन्होंने इस पर कुछ निर्णय ले लिए हैं।
टॉमहॉक मिसाइल की क्षमताएं
टॉमहॉक मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 2500 किलोमीटर है, जिससे यूक्रेन रूस के अंदर तक, यहां तक कि मॉस्को तक भी हमले कर सकता है। इसके कुछ पुराने मॉडल परमाणु वारहेड ले जाने की क्षमता भी रखते हैं।
क्रेमलिन की चेतावनी
रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने चेतावनी दी है कि यदि रूस पर टॉमहॉक मिसाइलें दागी जाती हैं, तो उन्हें यह मानना पड़ेगा कि इनमें से कुछ परमाणु हथियार ले जा सकते हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इतनी लंबी दूरी की मिसाइलों के उड़ान भरने पर रूस की प्रतिक्रिया क्या होगी।
पुतिन का कड़ा रुख
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि टॉमहॉक का उपयोग अमेरिकी सैन्य सहायता के बिना संभव नहीं है। यदि यूक्रेन को ये मिसाइलें दी जाती हैं, तो यह संघर्ष को एक नए और खतरनाक चरण में धकेल देगा।
अमेरिकी खुफिया का योगदान
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका पहले से ही यूक्रेन को रूस के ऊर्जा ढांचे पर हमले करने में सहायता कर रहा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियां यूक्रेन को ड्रोन हमलों के लिए मार्ग, ऊंचाई और समय निर्धारित करने में मदद कर रही हैं, जिससे वे रूसी वायु रक्षा को चकमा देकर अपने लक्ष्यों तक पहुंच पाते हैं।
पुतिन का पश्चिम पर आरोप
पुतिन का कहना है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद पश्चिमी देशों ने रूस को कमजोर करने की कोशिश की और नाटो को रूस की सीमाओं तक बढ़ा दिया। उनके अनुसार, यूक्रेन और जॉर्जिया को इसमें शामिल करना इसी रणनीति का हिस्सा है।
युद्ध का निरंतर संघर्ष
दूसरी ओर, यूक्रेन और उसके सहयोगियों का कहना है कि रूस की कार्रवाई केवल साम्राज्यवादी साजिश है। उनका लक्ष्य किसी भी कीमत पर रूसी सेना को हराना है।