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योगी सरकार की नीतियों से महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण

योगी सरकार की नीतियों ने उत्तर प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) में महिलाओं की भागीदारी ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी योजनाएं महिलाओं के सशक्तिकरण में सहायक हैं। ओडीओपी योजना के तहत लाखों महिला कारीगरों को लाभ मिला है, जिससे उनकी आय और पहचान में वृद्धि हुई है। जानें कैसे ये नीतियां महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रही हैं।
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योगी सरकार की नीतियों से महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण

महिलाओं की भागीदारी से आईआईटीएफ में उत्तर प्रदेश की पहचान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को एक उत्कृष्ट प्रदेश बनाने के लिए योगी सरकार की समावेशी नीतियों का प्रभाव अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) में इस वर्ष उत्तर प्रदेश की महिलाओं की अद्वितीय भागीदारी ने यह साबित कर दिया है कि योगी सरकार की योजनाएं महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।


महिलाओं के लिए मिशन शक्ति, मुद्रा ऋण, कन्या सुमंगला, और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के विस्तार जैसी पहलों ने उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा है और वैश्विक मंच पर पहुंचने का अवसर प्रदान किया है। आईआईटीएफ के ओडीओपी पवेलियन में महिलाओं की भागीदारी 60 प्रतिशत रही, जहां उनकी पारंपरिक कलाओं, हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों ने खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया। ओडीओपी और सरकारी नीतियों ने लुप्त होती कलाओं को पुनर्जीवित किया है, जिससे महिलाओं की आय, सम्मान और पहचान में वृद्धि हुई है।


महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए योगी सरकार ने मिशन शक्ति को बड़े पैमाने पर लागू किया है। इसके तहत 15.35 लाख महिलाओं को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.14 करोड़ से अधिक खाते स्वीकृत हुए, जिनमें 80 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं थीं। कन्या सुमंगला योजना के माध्यम से 15 लाख से अधिक बालिकाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इन नीतियों के परिणामस्वरूप महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में भी सुधार हुआ है, जो 2017 के 10.6% से बढ़कर 2023 में 17.5% से अधिक हो गई है।


प्रदेश की ओडीओपी योजना महिलाओं के लिए आर्थिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनकर उभरी है। ओडीओपी के जरिए लाखों महिला कारीगरों और उद्यमियों को लाभ मिला है। इनमें चिकनकारी, जरी-जरदोजी, पीतल उद्योग, बनारसी सिल्क, टेराकोटा, लकड़ी के खिलौने और अन्य पारंपरिक शिल्प शामिल हैं। 60,000 से अधिक महिला कारीगरों को फ्री प्रशिक्षण और आधुनिक टूलकिट प्रदान किए जाने से उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। ई-कॉमर्स के माध्यम से हजारों महिला एमएसएमई उद्यमियों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाया गया है, जिससे निर्यात में वृद्धि और आय में सुधार हुआ है।


आईआईटीएफ के ओडीओपी पवेलियन में 60% महिलाएं शामिल हुईं, जिन्होंने अपनी कला से उत्तर प्रदेश को पहचान दिलाई। यह न केवल राज्य की परंपरागत कला के पुनरुत्थान का प्रमाण है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक उत्थान का भी।


महिलाओं की आर्थिक मजबूती सुनिश्चित करने के लिए योगी सरकार ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लाखों महिलाओं को स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर किया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 4.5 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया गया। योगी सरकार के प्रयासों का प्रभाव आईआईटीएफ में स्पष्ट दिखाई दिया, जहां महिला उद्यमियों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया और राज्य की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दिलाई।


झांसी की वंदना और शिवानी शर्मा का उदाहरण अनुकरणीय है। इन्होंने ओडीओपी कैटेगरी के अंतर्गत प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त की और घर आधारित काम को संगठित उद्यम में बदला। इसका परिणाम यह है कि आईआईटीएफ में उनके पारंपरिक खिलौना उत्पादों को बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।