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राजस्थान में रेलवे स्टेशनों के नाम में बदलाव: नया नाम "न्यू कोटा"

राजस्थान में रेलवे स्टेशनों के नाम में बदलाव की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। डाकनिया तालाव रेलवे स्टेशन को अब न्यू कोटा के नाम से जाना जाएगा। इस बदलाव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है, और स्टेशन का नवीनीकरण भी चल रहा है। जानें इस स्टेशन के विकास और नई सुविधाओं के बारे में।
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राजस्थान में रेलवे स्टेशनों के नाम में बदलाव: नया नाम "न्यू कोटा"

राजस्थान रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तन


राजस्थान रेलवे स्टेशन: राजस्थान में रेलवे नेटवर्क को मजबूत करना एक महत्वपूर्ण पहल है। यात्रियों को महत्वपूर्ण जानकारी मिली है क्योंकि रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुँच गई है। डाकनिया तालाव रेलवे स्टेशन को अब कोटा जिले में "न्यू कोटा" के नाम से जाना जाएगा।


रेलवे गजट की प्रक्रिया


जैसा कि लोकसभा अध्यक्ष और कोटा-बूंदी सांसद ओम बिरला के कार्यालय ने बताया, केंद्र सरकार ने इस नाम परिवर्तन को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। इस संदर्भ में, गृह मंत्रालय ने राजस्थान सरकार को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी करने के लिए पत्राचार किया है। राज्य सरकार को रेलवे को गजट जारी करने से पहले इस नए नाम को आधिकारिक रूप से अपनाना होगा। ओम बिरला ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है। भारत सरकार और अन्य संबंधित संस्थाओं को भी नाम परिवर्तन के बारे में सूचित किया जाएगा। केंद्र जल्द ही एनओसी और गजट अधिसूचना जारी करेगा।


उन्नत सुविधाओं का निर्माण


डकनिया तालाब स्टेशन, कोटा जंक्शन से लगभग नौ किलोमीटर दूर, दिल्ली-मुंबई रेलवे पर स्थित है। कोचिंग हब के निकटता के कारण इस क्षेत्र में यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। स्टेशन के पूर्ण नवीनीकरण पर 110 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। निर्माण पूरा होने पर यह स्टेशन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा। यहां नए कॉनकोर्स, सर्कुलेटिंग क्षेत्र, पार्किंग, लिफ्ट, एस्केलेटर, सौर संयंत्र, डिजिटल स्क्रीन, CCTV, कोच और ट्रेन सूचना बोर्ड स्थापित किए जा रहे हैं।


परियोजना की प्रगति


स्टेशन पर टिकट काउंटर, प्रतीक्षालय, क्लॉक रूम, VIP लाउंज, डोरमेट्री, शिशु भोजन कक्ष, रिटायरिंग कक्ष, बजट होटल और दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सभी प्लेटफार्मों को जोड़ने के लिए एक नया कॉनकोर्स भी बनाया जा रहा है, जिसकी चौड़ाई 36 मीटर होगी। यह परियोजना, जो नवंबर 2022 में शुरू हुई थी, का अधिकांश हिस्सा पूरा हो चुका है। लक्ष्य को पूरा करने में छह महीने से अधिक समय लग सकता है।