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रूस ने INF संधि से हटने की घोषणा की: अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव का नया अध्याय

रूस ने 1987 की INF संधि से हटने की घोषणा की है, जिससे अमेरिका के साथ तनाव और बढ़ गया है। रूस ने पश्चिमी देशों की कार्रवाइयों को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। इस स्थिति में अमेरिका ने भी दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का आदेश दिया है। जानें इस नए संकट का क्या असर होगा और रूस की सुरक्षा नीति में क्या बदलाव आएंगे।
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रूस ने INF संधि से हटने की घोषणा की: अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव का नया अध्याय

रूस की नई घोषणा

रूस ने INF संधि से हटने का निर्णय लिया है: अमेरिका और रूस के बीच एक नई टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई है, जब रूस ने यह स्पष्ट किया कि वह 1987 की मध्यम दूरी की परमाणु शक्ति संधि (INF) के तहत अपने आप को बंधा हुआ नहीं मानता। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस के निकट 'परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती' के आदेश के कुछ दिन बाद उठाया गया है। रूस ने पश्चिमी देशों की 'अस्थिरकारी कार्रवाइयों' को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इस निर्णय का समर्थन किया। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि INF संधि की शर्तें अब समाप्त हो चुकी हैं, क्योंकि पश्चिमी देशों द्वारा विकसित की जा रही अस्थिरकारी मिसाइल क्षमता रूस की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। इस घोषणा के बाद, रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने चेतावनी दी है कि रूस इस नए संकट का जवाब देने के लिए और कदम उठाएगा।


रूस की सुरक्षा चिंताएँ

रूस ने पश्चिमी देशों की कार्रवाइयों को जिम्मेदार ठहराया: रूस ने अपनी सुरक्षा के लिए 'पश्चिमी देशों की कार्रवाइयों' को जिम्मेदार ठहराया है, जो उसकी दृष्टि में एक 'प्रत्यक्ष खतरा' उत्पन्न कर रही हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'पश्चिम द्वारा अस्थिरकारी मिसाइल क्षमता का निर्माण हमारे देश की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा पैदा करता है।' इसके अलावा, मेदवेदेव ने नाटो देशों को इसके लिए दोषी ठहराते हुए कहा कि अब रूस को इस पर जवाबी कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा, 'यह एक नई वास्तविकता है जिसका हमारे सभी विरोधियों को सामना करना पड़ेगा। आगे और कदम उठाए जाने की उम्मीद करें।'


अमेरिका का प्रतिकार

डोनाल्ड ट्रंप का आदेश: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि वह रूस के निकट 'उचित क्षेत्रों' में दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती करने का आदेश दे रहे हैं। यह कदम रूस के दावों का प्रतिकार था कि परमाणु-सशस्त्र शत्रुओं के बीच युद्ध का खतरा बढ़ रहा है। इस निर्णय ने न केवल अमेरिका और रूस के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा में भी एक नई अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न की है।


INF संधि का महत्व

1987 की INF संधि: 1987 में हस्ताक्षरित INF संधि ने परमाणु हथियारों के एक महत्वपूर्ण वर्ग को समाप्त कर दिया था। इस समझौते के तहत, 500 से 5,500 KM (311 से 3,418 मील) की दूरी तक मार करने वाली जमीन से प्रक्षिप्त होने वाली मिसाइलों की तैनाती पर रोक लगा दी गई थी। यह संधि अमेरिकी और सोवियत संघ के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता था, जिसने न केवल परमाणु युद्ध के जोखिम को कम किया, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास की स्थिति भी बनाई थी। मेदवेदेव ने इस संदर्भ में कहा, 'यह एक नई वास्तविकता है, और अब हमें अपने विरोधियों को इसका सामना कराना होगा।'


रूस की नई स्थिति

रूस ने स्पष्ट किया कि वह अब INF संधि का पालन नहीं करेगा: रूस ने इस घोषणा के साथ यह स्पष्ट किया कि वह अब INF संधि के तहत निर्धारित प्रतिबंधों का पालन नहीं करेगा। मंत्रालय ने कहा, 'चूंकि यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका निर्मित भूमि-आधारित मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों की वास्तविक तैनाती की स्थिति विकसित हो रही है, इसलिए इस संधि की शर्तों का पालन करना अब संभव नहीं है।' रूस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह ऐसी मिसाइलों की तैनाती करेगा, बशर्ते अमेरिका ऐसा नहीं करता है।


बढ़ता तनाव

अमेरिका का कदम: अमेरिका ने 2019 में रूस पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए INF संधि से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद से रूस ने यह चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका अपनी गतिविधियों को बढ़ाता है तो वह भी अपनी तैनाती शुरू करेगा। अब रूस की यह नई घोषणा न केवल दोनों देशों के रिश्तों में और तनाव बढ़ाती है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा को लेकर एक नया संकट उत्पन्न करती है।