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रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा: अमेरिका को मिलेगी चुनौती

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा 5-6 दिसंबर को होने जा रहा है, जो अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक संदेश है। इस दौरे के दौरान, पुतिन और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी, जिसमें यूक्रेन युद्ध और भारत-रूस संबंधों पर चर्चा की जाएगी। यह दौरा भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का एक और उदाहरण है, जो अमेरिका के दबावों के बावजूद अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रहा है।
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रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा: अमेरिका को मिलेगी चुनौती

पुतिन का महत्वपूर्ण दौरा

नई दिल्ली: रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका के साथ चल रही तनावपूर्ण स्थिति के बीच, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों और प्रतिबंधों को नजरअंदाज करते हुए, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत का दौरा करने वाले हैं। पुतिन की यात्रा की तारीखें (5-6 दिसंबर) भी तय हो गई हैं, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय शिखर वार्ता करेंगे।


यह दौरा ट्रंप प्रशासन के लिए एक स्पष्ट और कठोर संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।


वास्तव में, राष्ट्रपति ट्रंप भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस से तेल आयात रोकने का दबाव बना रहे हैं। भारत के इनकार के बाद, अमेरिका ने दो बार में 50% तक का भारी टैरिफ लगाया, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह वही करेगा जो उसके देश के हित में है। अमेरिका के इस दबाव ने भारत और रूस के बीच की पुरानी दोस्ती को और मजबूत किया है, और पुतिन का यह दौरा उसी दोस्ती की पुष्टि करने जैसा है।


हाल ही में चीन के तियानजिन में पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की तस्वीरों ने अमेरिका को चिंतित कर दिया था। इस 'तिकड़ी' को देखकर अमेरिका बेचैन हो गया था और ट्रंप ने भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। पुतिन का यह दौरा उसी प्रयास का अगला चरण माना जा रहा है।


पुतिन के इस दौरे की घोषणा सबसे पहले एनएसए अजीत डोभाल की मॉस्को यात्रा के दौरान की गई थी। माना जा रहा है कि पीएम मोदी और पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर भी गंभीर चर्चा होगी। भारत हमेशा से इस युद्ध को बातचीत के माध्यम से समाप्त करने का पक्षधर रहा है और पीएम मोदी पहले भी कई बार पुतिन से शांति की अपील कर चुके हैं।


यह दौरा केवल एक नियमित शिखर सम्मेलन नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक संदेश है, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें रहेंगी।