Newzfatafatlogo

लद्दाख में हिंसा: प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार की मौत

लद्दाख में राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में हिंसा भड़क गई है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई है। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों में 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपना उपवास समाप्त किया, जबकि गृह मंत्रालय ने उन्हें हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। लद्दाख में असंतोष बढ़ रहा है, और आगामी वार्ता में समाधान की उम्मीद की जा रही है।
 | 
लद्दाख में हिंसा: प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार की मौत

लद्दाख में हिंसा का बढ़ता संकट

लद्दाख में हालात बिगड़े: लद्दाख की राजधानी लेह में राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में मंगलवार को हिंसा भड़क गई। इस झड़प में चार लोगों की जान चली गई है और 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने इस मामले में दो नेपाली नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जो सुरक्षाबलों पर हमले का आरोप झेल रहे हैं।


अधिकारियों के अनुसार, दोनों नागरिकों को गोली लगी थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अब तक 60 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है, जिसमें नेपाली नागरिक और जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के लोग शामिल हैं, जिससे आंदोलन में बाहरी हस्तक्षेप की आशंका बढ़ गई है।


पुलिस के सूत्रों ने बताया कि झड़पों में चार नेपाली नागरिक घायल हुए हैं, जिनमें से दो को गिरफ्तार किया गया है और दो का इलाज चल रहा है। वर्तमान में लेह में कर्फ्यू लागू है और कारगिल समेत अन्य शहरों में पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है।


सोनम वांगचुक का उपवास समाप्त

जलवायु कार्यकर्ता का उपवास: सोनम वांगचुक ने बुधवार को अपना 15 दिवसीय उपवास समाप्त किया। उन्होंने इस आंदोलन को 'जेन-जेड क्रांति' करार दिया और कहा कि युवा बेरोजगारी और लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन से नाराज हैं। नेपाल में हाल ही में जेन-जेड छात्रों द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था, और वांगचुक ने इसे उदाहरण के रूप में पेश किया।


हालांकि, गृह मंत्रालय ने वांगचुक को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है, यह कहते हुए कि उनके 'उकसावे वाले बयानों' ने माहौल को बिगाड़ा। वहीं, वांगचुक का कहना है कि सरकार उन्हें 'बलि का बकरा' बनाने की कोशिश कर रही है।


छठी अनुसूची की मांग

लद्दाख में असंतोष का इतिहास: लद्दाख में असंतोष 2019 से बढ़ा है, जब अनुच्छेद 370 को हटाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) लगातार राज्यhood, छठी अनुसूची के तहत जनजातीय सुरक्षा और भूमि अधिकारों की मांग कर रहे हैं। वांगचुक के उपवास के दौरान युवाओं ने कई जगह बंद का आह्वान किया, जिसके चलते सुरक्षाबलों को आंसू गैस और फायरिंग करनी पड़ी।


आगामी वार्ता की तैयारी

6 अक्टूबर को होगी वार्ता: केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच अगली वार्ता 6 अक्टूबर को निर्धारित है, जिसमें LAB और KDA के सदस्य शामिल होंगे। सरकार का कहना है कि बातचीत से समाधान निकलेगा, जबकि प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि वार्ता जल्द हो। स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो वायरल होने से अफवाहें फैल रही हैं।


लद्दाख की हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्थानीय लोगों का धैर्य अब टूट रहा है। बाहरी तत्वों की मौजूदगी, युवाओं का आक्रोश और अधूरी मांगें इस आंदोलन को और उग्र बना सकती हैं। अब देखना होगा कि आने वाली वार्ता से समाधान निकलता है या आंदोलन और तेज होता है।