लाहौर में TLP का फिलिस्तीन समर्थन मार्च, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष

लाहौर में TLP का प्रदर्शन
लाहौर में TLP का फिलिस्तीन समर्थन मार्च: शुक्रवार को लाहौर की सड़कों पर एक बार फिर से हंगामा हुआ, जब इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के समर्थकों ने इस्लामाबाद की ओर 'फिलिस्तीन समर्थन मार्च' निकालने का प्रयास किया।
पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बल का प्रयोग किया, जिससे स्थिति हिंसक हो गई। इस बीच, सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें सुरक्षाबलों को खुद गाड़ियों को नुकसान पहुंचाते हुए देखा गया, जिससे प्रशासन की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
सुरक्षाबलों पर हिंसा भड़काने का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन क्षेत्रों में तोड़फोड़ हुई, वहां प्रदर्शनकारी मौजूद थे, लेकिन वाहनों को नुकसान सुरक्षाबलों ने ही पहुंचाया। उनका आरोप है कि पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने खुद तोड़फोड़ की और बाद में इसे प्रदर्शनकारियों की हिंसा बताने का प्रयास किया ताकि कठोर कार्रवाई को सही ठहराया जा सके।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि सुरक्षाकर्मी खुद वाहनों पर चढ़कर तोड़फोड़ कर रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने अब तक इस आरोप पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
लाहौर में बेकाबू विरोध प्रदर्शन
इस बीच, हजारों TLP समर्थकों ने इस्लामाबाद की ओर बढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों ने भी पत्थरबाजी कर जवाब दिया। संगठन के प्रमुख साद रिजवी ने घोषणा की कि वह खुद मार्च का नेतृत्व करेंगे, चाहे इसके लिए गिरफ्तारी या गोलियों का सामना करना पड़े। उन्होंने कहा, 'हम अमेरिकी दूतावास के सामने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करेंगे, यह हमारा अधिकार है।'
सरकार ने राजधानी की घेराबंदी की
पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ के नेतृत्व में प्रशासन ने इस्लामाबाद जाने वाले सभी मार्गों को कंटेनरों से बंद कर दिया है। इंटरनेट सेवाएं ठप हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क रहने का आदेश दिया गया है। उप-गृह मंत्री तलाल चौधरी ने कहा, 'प्रदर्शनकारियों को किसी भी कीमत पर राजधानी में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।' उन्होंने सवाल उठाया कि 'जब फिलिस्तीन में युद्धविराम हो चुका है तो अब यह हिंसा क्यों?'
आम लोगों की मुश्किलें बढ़ीं
हिंसा और अवरोधों के कारण लाहौर में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई इलाकों में स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद हैं। सड़कें ब्लॉक होने के कारण लोग घर या दफ्तर नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहीं, अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी करते हुए उन्हें सार्वजनिक स्थानों से दूर रहने की सलाह दी है। शहर के कई हिस्सों में इंटरनेट बंदी के चलते नागरिकों को आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
यह पूरी घटना न केवल पाकिस्तान के राजनीतिक तंत्र की अस्थिरता को उजागर करती है, बल्कि इस बात पर भी सवाल खड़े करती है कि क्या सरकार और सुरक्षाबल किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए खुद हिंसा को भड़काने की रणनीति अपना रहे हैं।