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सुब्रमण्यम वेदम: 43 साल की जेल के बाद भी क्यों है अमेरिका में मुश्किलें?

सुब्रमण्यम वेदम, एक भारतीय मूल के व्यक्ति, ने 43 साल जेल में बिताए और हाल ही में निर्दोष साबित हुए। अब, अमेरिकी सरकार उन्हें देश से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है। उनके वकील और परिवार इसे मानवाधिकार का मामला मानते हैं। जानें कैसे वेदम ने अपने जीवन के इस कठिन दौर का सामना किया और अब क्या उम्मीदें हैं उनके परिवार की।
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सुब्रमण्यम वेदम: 43 साल की जेल के बाद भी क्यों है अमेरिका में मुश्किलें?

सुब्रमण्यम वेदम की कहानी: इंसाफ की तलाश


नई दिल्ली: अमेरिका में भारतीय मूल के 64 वर्षीय सुब्रमण्यम वेदम की कहानी इंसाफ और मानवता के मुद्दों पर गंभीर सवाल उठाती है। उन्हें एक हत्या के झूठे आरोप में 43 साल जेल में बिताने पड़े। अगस्त 2025 में अदालत ने उन्हें निर्दोष घोषित किया, लेकिन उनकी परेशानियाँ खत्म नहीं हुईं। अब अमेरिकी सरकार उन्हें देश से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है। हालांकि, हाल ही में दो अमेरिकी अदालतों ने उनके डिपोर्टेशन पर अस्थायी रोक लगा दी है।


कानूनी तरीके से अमेरिका आए, यहीं पले-बढ़े

सुब्रमण्यम वेदम केवल नौ महीने के थे जब वे अपने माता-पिता के साथ भारत से कानूनी तरीके से अमेरिका आए। उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, और वेदम वहीं के स्टेट कॉलेज में बड़े हुए। वे अमेरिका के कानूनी स्थायी निवासी हैं। उनके वकीलों के अनुसार, 1982 में गिरफ्तारी से पहले उनका नागरिकता आवेदन भी स्वीकृत हो चुका था।


झूठे आरोप में बिताए 43 साल

1980 में उनके दोस्त थॉमस किन्सर की हत्या का आरोप उन पर लगा था। पुलिस का कहना था कि वेदम आखिरी बार किन्सर के साथ देखे गए थे। हालांकि, न तो कोई ठोस सबूत था और न ही हत्या का कोई स्पष्ट कारण, फिर भी उन्हें दो बार दोषी ठहराया गया। कई सालों बाद, अगस्त 2025 में एक नए बैलिस्टिक सबूत ने स्थिति को बदल दिया।


अदालत ने पाया कि सरकारी अभियोजन पक्ष ने पहले यह सबूत छिपा लिया था, जो वेदम की बेगुनाही साबित कर सकता था। इसके बाद अदालत ने उनकी सजा रद्द कर दी और उन्हें निर्दोष मानते हुए रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन जैसे ही वेदम 3 अक्टूबर को पेंसिल्वेनिया जेल से बाहर आए, उन्हें तुरंत इमिग्रेशन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया।


ड्रग्स केस के बहाने निर्वासन की कोशिश

अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग (ICE) अब वेदम को ड्रग्स डिलीवरी के एक पुराने मामले में अमेरिका से निकालना चाहता है। यह मामला तब का है जब वे 20 वर्ष के थे। उनके वकीलों का कहना है कि उन्होंने पहले ही 43 साल निर्दोष रहते हुए जेल में बिताए, जहां उन्होंने पढ़ाई की और कई कैदियों को शिक्षा दी। उनका तर्क है कि इतने वर्षों के अन्याय के बाद सरकार को उन्हें नागरिकता और सम्मान देना चाहिए, न कि फिर से सजा देना।


अदालतों से मिली अस्थायी राहत

पिछले हफ्ते एक इमिग्रेशन जज ने आदेश दिया कि जब तक ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन अपील्स (BIA) उनके केस की समीक्षा नहीं करता, तब तक उनका निर्वासन रोका जाए। इसके साथ ही, पेंसिल्वेनिया जिला अदालत ने भी वेदम को राहत देते हुए स्टे ऑर्डर जारी किया। माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं।


परिवार की उम्मीदें

अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग का कहना है कि हत्या के आरोप से बरी होना ड्रग्स केस को खत्म नहीं करता। वहीं, वेदम के वकील और परिवार का कहना है कि यह एक मानवाधिकार का मामला है। किसी निर्दोष व्यक्ति को 43 साल जेल में रखने के बाद उसे देश से निकालना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। वेदम अब केवल एक चीज की उम्मीद कर रहे हैं, सच्ची आजादी, जो उन्हें अभी तक नहीं मिली।