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सेवानिवृत्त सैनिक ने देवी को समर्पित की 4 करोड़ की संपत्ति

तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में एक सेवानिवृत्त सैनिक, एस. विजयन ने अपनी 4 करोड़ रुपये की संपत्ति देवी को समर्पित कर दी। यह दान तब हुआ जब उन्होंने अपने बच्चों से ताने सुनकर देवी के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त किया। विजयन का यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे बुजुर्ग अपने बच्चों के अपमान के बाद अपनी अंतिम पूंजी को आस्था में समर्पित कर देते हैं। जानें इस अनोखे दान की पूरी कहानी।
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सेवानिवृत्त सैनिक ने देवी को समर्पित की 4 करोड़ की संपत्ति

सेवानिवृत्त सैनिक का अनोखा दान

नई दिल्ली- सेना से रिटायर हुए एस. विजयन ने अपनी 4 करोड़ रुपये की संपत्ति को देवी को समर्पित करते हुए एक मंदिर को दान कर दिया है। यह घटना तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के अरुलमिगु रेणुगांबल अम्मन मंदिर से जुड़ी है। जब मंदिर की दान पेटी खोली गई, तो उसमें नोटों और सिक्कों के साथ दो संपत्ति के मूल दस्तावेज भी पाए गए। इनमें से एक संपत्ति की कीमत 3 करोड़ रुपये और दूसरी की 1 करोड़ रुपये बताई गई है। विजयन ने एक पत्र में लिखा है कि उन्होंने स्वेच्छा से यह संपत्ति देवी को अर्पित की है।


एस. विजयन, जो अरनी के केसवपुरम गांव के निवासी हैं, मंदिर के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं और पिछले 10 वर्षों से अकेले जीवन बिता रहे हैं। उनकी पत्नी से पहले ही मतभेद हो चुके थे, और अब उनकी बेटियां उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर ताने दे रही थीं। विजयन ने कहा, 'मेरे अपने बच्चों ने मेरे खर्चों को लेकर मुझे ताने दिए। अब मैं वह सब देवी को सौंप रहा हूं, जिसने जीवनभर मुझे सहारा दिया।' अब उनकी बेटियां संपत्ति वापस पाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन विजयन अपने निर्णय पर अडिग हैं।


मंदिर के कार्यकारी अधिकारी एम. सिलंबरासन ने बताया कि केवल दान पेटी में दस्तावेज डालने से संपत्ति का कानूनी हस्तांतरण नहीं होता। जब तक रजिस्ट्री विभाग में विधिवत रजिस्ट्रेशन नहीं होता, मंदिर को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलेगा। इसलिए ये दस्तावेज फिलहाल हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के पास सुरक्षित रखे गए हैं। दान की गई संपत्तियों में मंदिर के पास 10 सेंट जमीन और एक एकमंजिला आवास शामिल है, जिसकी कुल कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस मामले के मीडिया में आने के बाद विजयन की बेटियां संपत्ति वापस लेने के लिए प्रयास कर रही हैं। विजयन ने स्पष्ट किया है कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे और मंदिर प्रशासन से संपर्क कर कानूनी प्रक्रिया पूरी करेंगे। यह घटना केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि उस भावनात्मक और मानसिक स्थिति का प्रतीक है, जब बुजुर्ग अपने ही बच्चों से अपमानित होकर जीवन की अंतिम पूंजी किसी आस्था में समर्पित कर देते हैं।