सोमालीलैंड की स्वतंत्रता पर इजरायल का ऐतिहासिक निर्णय
सोमालीलैंड को इजरायल की मान्यता
नई दिल्ली: सोमालिया से अलग हुए क्षेत्र सोमालीलैंड को इजरायल द्वारा एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिलने के बाद वैश्विक राजनीति में नया विवाद उत्पन्न हुआ है। इस निर्णय के साथ ही दुनिया दो खेमों में विभाजित होती दिखाई दे रही है। इजरायल सोमालीलैंड को मान्यता देने वाला पहला देश बन गया है, जबकि अमेरिका, अफ्रीकी संघ और कई क्षेत्रीय संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है।
नेतन्याहू का समर्थन
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अबदीरहमान मोहम्मद अबदुल्लाह को बधाई दी और उनके नेतृत्व की सराहना की। नेतन्याहू ने उन्हें इजरायल आने का निमंत्रण भी दिया है। इस कदम को कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जबकि अमेरिका ने इस फैसले से खुद को अलग रखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका सोमालीलैंड को मान्यता देने का कोई इरादा नहीं रखता है।
ट्रंप का बयान
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने सोमालीलैंड को एक अलग देश के रूप में मान्यता देने पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। सोमालीलैंड ने 1991 में सोमालिया से अलग होकर स्वतंत्रता की घोषणा की थी, और तब से वहां अपनी सरकार, संसद और मुद्रा भी है। हालांकि, पिछले 30 वर्षों में किसी भी देश ने इसे औपचारिक मान्यता नहीं दी थी। इजरायल का यह निर्णय ऐतिहासिक माना जा रहा है, जबकि अफ्रीकी संघ ने इसे सोमालिया की संप्रभुता के लिए खतरा बताया है।
अफ्रीकी संघ की प्रतिक्रिया
अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने कहा कि सोमालिया की संप्रभुता को कमजोर करने का प्रयास अफ्रीका में शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अफ्रीकी संघ सोमालीलैंड को अलग देश के रूप में मान्यता देने की किसी भी पहल को खारिज करता है। उनका कहना है कि सोमालीलैंड अब भी सोमालिया के संघीय गणराज्य का अभिन्न हिस्सा है।
सोमालिया की संघीय सरकार का खंडन
सोमालिया की संघीय सरकार ने भी इजरायल के फैसले को गैरकानूनी करार दिया है। सरकार ने कहा कि उत्तरी क्षेत्र सोमालिया का अविभाज्य हिस्सा है और किसी भी देश को एकतरफा मान्यता देने का अधिकार नहीं है। मिस्र, तुर्की और पूर्वी अफ्रीकी संगठन आईजीएडी ने भी इजरायल के फैसले की आलोचना की है। तुर्की ने इसे सोमालिया के आंतरिक मामलों में दखल बताया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल अब अन्य देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा। यदि और देश इस फैसले के पक्ष या विरोध में सामने आते हैं, तो यह मुद्दा वैश्विक स्तर पर बड़ा कूटनीतिक विवाद बन सकता है और दुनिया स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट सकती है।
