हरियाणा सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए 5 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की

हरियाणा की वित्तीय सहायता
हरियाणा सरकार ने हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित हिमाचल प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया है। यह राशि बचाव और पुनर्वास कार्यों में मदद के लिए प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह सहायता पहाड़ी राज्य में प्रभावित परिवारों को तात्कालिक राहत प्रदान करने के उद्देश्य से है।
पंजाब के लिए निरंतर समर्थन
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सीएम सैनी ने बताया कि हरियाणा पड़ोसी राज्य पंजाब, जो बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है, को निरंतर सहायता प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा, “पंजाब हमारा भाई है, और हरियाणा सरकार इस संकट के समय में उसके साथ मजबूती से खड़ी है।”
मंत्रियों और विधायकों से सहयोग की अपील
CM की मत्रियों और विधायकों से सहयोग की अपील
राज्य मंत्रिपरिषद की एक अनौपचारिक बैठक के बाद, मुख्यमंत्री सैनी ने सभी मंत्रियों, पार्टी विधायकों और सांसदों से एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, “यह योगदान बचाव कार्यों को तेज करने और जरूरतमंदों तक राहत पहुंचाने में मदद करेगा।” सरकार ने राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों से स्वेच्छा से योगदान देने की अपील की है, साथ ही सामाजिक संगठनों और उद्योगपतियों से राहत उपायों को मजबूत करने के लिए सहयोग मांगा है। सैनी ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष सभी के लिए खुला है और कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार योगदान दे सकता है।
पंजाब के मुख्यमंत्री से मुलाकात
पंजाब के मुख्यमंत्री से CM सैनी ने की मुलाकात
सोमवार को सैनी ने मोहाली के एक अस्पताल में भर्ती पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की, जहां उन्होंने उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली और बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। इससे पहले, हरियाणा ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब के लिए भी 5-5 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की थी।
विपक्ष पर CM सैनी का कटाक्ष
विपक्ष पर CM सैनी ने साधा निशाना
मीडिया से बातचीत में सैनी ने विपक्षी नेताओं के प्रभावित क्षेत्रों के दौरे का स्वागत किया, लेकिन तंज कसते हुए कहा कि पहले वे “सिर्फ ट्वीट करने” तक सीमित थे। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “जब भी देश में कोई आपदा आती है, उनका ‘युवराज’ विदेश चला जाता है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यक्रम रद्द कर लोगों तक सीधे पहुंचते हैं।”