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हूती विद्रोहियों की इजरायल को चेतावनी: सोमालीलैंड में सैन्य मौजूदगी पर गंभीर परिणाम

यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल को सोमालीलैंड में किसी भी सैन्य गतिविधि के खिलाफ चेतावनी दी है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। हूती नेता ने इजरायल के इस कदम को खतरनाक बताया है और कहा है कि इससे यमन और सोमालिया दोनों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की जाएगी। जानें इस स्थिति का क्षेत्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इजरायल के इस फैसले के पीछे की वजह क्या है।
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हूती विद्रोहियों की इजरायल को चेतावनी: सोमालीलैंड में सैन्य मौजूदगी पर गंभीर परिणाम

नई दिल्ली में बढ़ते तनाव


नई दिल्ली: यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों ने इजरायल के प्रति एक कठोर और आक्रामक रुख अपनाया है। हूती नेतृत्व ने चेतावनी दी है कि यदि इजरायली सेना सोमालीलैंड में किसी भी प्रकार की सैन्य उपस्थिति स्थापित करती है, तो इसके गंभीर और विनाशकारी परिणाम होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सोमालीलैंड में इजरायली ठिकानों को सैन्य लक्ष्य माना जाएगा और उन पर सीधा हमला किया जाएगा।


हूती नेता का बयान

हूती आंदोलन के प्रमुख अब्दुलमलिक अल हूती ने कहा कि इजरायल द्वारा सोमालीलैंड को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देना एक खतरनाक और उकसावे भरा कदम है। उनका कहना है कि यह निर्णय न केवल सोमालिया की संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। हूती के अनुसार, सोमालीलैंड में इजरायली सेना की उपस्थिति को यमन और सोमालिया दोनों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई माना जाएगा।


हूती नेता की चेतावनी

हूती नेता ने कहा कि उनकी सशस्त्र सेनाएं सोमालीलैंड में किसी भी इजरायली गतिविधि पर नजर रखेंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इजरायल ने वहां सैन्य ठिकाने या तैनाती की कोशिश की, तो हूती बल उसे सीधे निशाना बनाएंगे। इस कदम को लाल सागर और उसके आस-पास के देशों की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताया गया है।


सोमालिया से अलग होने का इतिहास

सोमालीलैंड ने 1991 में सोमालिया से अलग होने की घोषणा की थी। यह क्षेत्र अदन की खाड़ी के निकट एक रणनीतिक स्थान पर स्थित है। सोमालीलैंड की अपनी सरकार, मुद्रा, पासपोर्ट और सुरक्षा बल हैं, लेकिन इसे अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं मिली है। इजरायल पहला ऐसा देश है जिसने आधिकारिक तौर पर सोमालीलैंड को मान्यता देने का निर्णय लिया है।


इस फैसले की पृष्ठभूमि

इजरायल के इस निर्णय का अरब और अफ्रीकी देशों के कई हिस्सों ने विरोध किया है। क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल सोमालीलैंड के साथ संबंध बढ़ाकर लाल सागर क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहता है। इससे उसे यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में बढ़त मिल सकती है।


हूती और इजरायल के बीच संबंध

हूती विद्रोही पहले से ही गाजा युद्ध के बाद से इजरायल के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। अक्टूबर 2023 के बाद से, हूतियों और इजरायल के बीच टकराव में लगातार वृद्धि हुई है। इजरायल द्वारा यमन में किए गए हवाई हमलों ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। ऐसे में सोमालीलैंड को लेकर दी गई हूतियों की धमकी पश्चिम एशिया और अफ्रीका में नए तनाव का संकेत मानी जा रही है।