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पाकिस्तान का 'ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस': भारत के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 'ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस' के तहत कई मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। यह कार्रवाई भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में की गई है, जिसमें भारत ने आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया था। इस लेख में हम जानेंगे कि इस सैन्य अभियान का नाम क्या है, इसके पीछे का धार्मिक अर्थ क्या है, और भारत की प्रतिक्रिया क्या रही है। इसके अलावा, हम देखेंगे कि पाकिस्तान के हमले का स्वरूप क्या था और इससे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव कैसे बढ़ा।
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पाकिस्तान का 'ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस': भारत के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले

पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई

पाकिस्तान ने भारत पर कई मिसाइलें और ड्रोन हमले किए, जिनमें 'फ़तेह-1' बैलिस्टिक मिसाइल भी शामिल थी। इस सैन्य अभियान को पाकिस्तानी मीडिया ने 'ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस' का नाम दिया है। यह कार्रवाई भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में की गई है, जिसमें भारत ने आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया था।


ऑपरेशन का नाम और उसका अर्थ

नाम का धार्मिक 

'बुनयान उल मरसूस' एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है 'लोहे जैसी दीवार'। यह नाम कुरान की एक आयत से लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि अल्लाह उन लोगों से प्रेम करता है जो युद्ध के लिए इस प्रकार संगठित होते हैं जैसे वे एक ठोस दीवार हों। पाकिस्तान द्वारा इस नाम का चयन खुद को मजबूत और अभेद्य दिखाने की रणनीति हो सकती है, साथ ही यह हमलों को धार्मिक आधार देने का प्रयास भी प्रतीत होता है.


भारत की कार्रवाई का संदर्भ

भारत की कार्रवाई की पृष्ठभूमि

यह घटनाक्रम 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें आतंकवादियों ने कुछ पर्यटकों को धार्मिक आधार पर पहचानने की कोशिश की और गैर-मुस्लिमों की हत्या कर दी। इसके बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें कुल 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया।


1971 के बाद का महत्वपूर्ण हमला

1971 के बाद बड़ा बदलाव

भारत द्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित आतंकवादी शिविरों पर किया गया यह हमला 1971 के युद्ध के बाद पहली बार था जब भारतीय वायुसेना ने इतनी गहराई तक जाकर कार्रवाई की। ये शिविर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित थे, जिससे इस हमले की रणनीतिक गंभीरता का पता चलता है.


सांप्रदायिक तनाव और बयानबाज़ी

सांप्रदायिक तनाव और बयानबाज़ी

इस घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का 16 अप्रैल का बयान भी चर्चा में है, जिसमें उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम भिन्नताओं को रेखांकित करते हुए द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला दिया था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बयान पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को संकेत देने के लिए दिया गया था.


पाकिस्तान के हमलों का स्वरूप

पाकिस्तान के हमलों का स्वरूप

भारत की कार्रवाई केवल आतंकवादी ठिकानों तक सीमित थी, जबकि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया कहीं अधिक उग्र और असंतुलित रही। पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों में भारत के धार्मिक स्थलों जैसे गुरुद्वारों, कॉन्वेंट स्कूलों और मंदिरों को भी निशाना बनाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान का मकसद न केवल सैन्य जवाब देना था, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को भी भड़काना था.