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अरुण गवली की जेल से रिहाई: अंडरवर्ल्ड से राजनीति तक का सफर

अरुण गवली, जो कभी मुंबई के अंडरवर्ल्ड का एक प्रमुख नाम था, को 18 साल बाद जेल से रिहाई मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी, जिसके बाद वे नागपुर सेंट्रल जेल से बाहर आए। गवली की कहानी अंडरवर्ल्ड से राजनीति तक के सफर को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने 2004 में विधायक का चुनाव भी लड़ा। जानें उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ और जमानत के पीछे के कारण।
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अरुण गवली की जेल से रिहाई: अंडरवर्ल्ड से राजनीति तक का सफर

अरुण गवली की रिहाई

अरुण गवली, जो कभी मुंबई के अंडरवर्ल्ड का एक प्रमुख नाम था, को 18 साल बाद जेल से रिहाई मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी, जिसके बाद वे नागपुर सेंट्रल जेल से बाहर आए। 73 वर्षीय गवली को शिवसेना के कॉर्पोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।


गवली को 2012 में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने जामसांडेकर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था। उन पर हत्या की साजिश रचने का आरोप था, जो मुंबई की राजनीतिक प्रतिकूलताओं से जुड़ा था। इस फैसले के बाद से गवली नागपुर जेल में बंद थे।


सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत के लिए दो मुख्य कारणों पर ध्यान दिया: पहला, उन्होंने पहले ही 18 साल जेल में बिताए हैं, और दूसरा, उनकी उम्र। इन कारणों के चलते कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया।


अरुण गवली की कहानी उन कुछ डॉन्स में से एक है, जिन्होंने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में कदम रखा। 2000 के दशक में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और 2004 में भायखला विधानसभा सीट से विधायक बने। लेकिन अपराध की दुनिया ने उन्हें कभी नहीं छोड़ा। मार्च 2007 में, जामसांडेकर की हत्या उनके घर के बाहर गोली मारकर की गई, जो गवली के गैंग से जुड़ी थी।