बिलावल भुट्टो की अमेरिका यात्रा पर आतंकवाद और अफगानिस्तान पर तीखी टिप्पणियाँ
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने अमेरिका में अफगानिस्तान और आतंकवाद पर तीखे बयान दिए हैं। उन्होंने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए अमेरिका और क्षेत्रीय गतिशीलता को जिम्मेदार ठहराया। बिलावल ने कहा कि अमेरिका की वापसी के बाद पाकिस्तान को नुकसान हुआ है, जिससे आतंकवादी समूहों को लाभ मिला है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए अधिक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। इस्लामिक अमीरात ने अभी तक इन टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान के लहज़े की आलोचना की जा रही है।
Jun 10, 2025, 13:29 IST
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बिलावल भुट्टो का कूटनीतिक बयान
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने हाल ही में अफगानिस्तान और आतंकवाद के मुद्दों पर तीखे बयान दिए हैं, जिससे कूटनीतिक तनाव फिर से बढ़ गया है। उन्होंने अमेरिका और क्षेत्रीय गतिशीलता को पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है। बिलावल इस समय वाशिंगटन में हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी और वहां छोड़े गए सैन्य उपकरणों के कारण पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ा है, जो अब आतंकवादी समूहों के हाथों में जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद और अफगानिस्तान के मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जो पिछले कुछ दशकों में अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंधों में प्रमुख रहे हैं। पीपीपी के अध्यक्ष ने आतंकवाद से निपटने के लिए अधिक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
बिलावल ने कहा कि हमें काबुल के बाद बचे आतंकवाद से निपटने के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि जब पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों से लड़ाई चल रही होती है, तो कभी-कभी उनके पास ऐसे हथियार होते हैं जो अफगानिस्तान में छोड़े गए काले बाजार से खरीदे गए होते हैं, और ये उन पुलिसकर्मियों से अधिक उन्नत होते हैं जिनके खिलाफ वे लड़ रहे हैं।
हालांकि, इस्लामिक अमीरात ने जरदारी की टिप्पणियों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उसने इस्लामाबाद को भड़काऊ आरोप लगाने से चेतावनी दी है, जो पहले से ही कमजोर द्विपक्षीय संबंधों को और अस्थिर कर सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद ज़लमई अफ़गान यार ने पाकिस्तान के लहज़े की आलोचना की है, यह कहते हुए कि पाकिस्तान क्षेत्र के देशों को धमका रहा है। अफ़गान सरकार ने अर्थव्यवस्था-केंद्रित नीति की घोषणा की है। क्या पाकिस्तान अफ़गानिस्तान को भी यही संदेश दे सकता है? क्या पाकिस्तान अपनी आर्थिक सौदेबाज़ी छोड़ सकता है और अफ़गान सरकार के लिए और समस्याएँ पैदा करने में अमेरिका के साथ सहयोग करने से बच सकता है?